यदि विद्यालय में कोई अवकाश न मिलता

एक दिन मुझे अजीब सा विचार आया,

यदि विद्यालय में कोई अवकाश होता तो क्या होता?

हर दिन मुँह धोकर हम स्कूल पहुंचते,

एक दिन भी होता जब हम देर से उठते।

आँखों के निचे काले घेरे पड़ जाते,

पढाई से थक कर हम किताबो पे ही सो जाते।

दिवाली, होली, राखी में हम शाला में ही होते,

क्या सब त्यौहार हम वही मनाते?

पढ़ाते-पढ़ाते हमारे शिक्षक परेशान हो जाते,

छूटी की राह में सब मुस्कान खो जाते।

गर्मी की छुट्टीयो का कोई इंतज़ार करता,

घूमने जाने का समय किसी के पास होता।

अच्छा हे यह सिर्फ सोच हे, हकीकत नहीं,

अवकाश बहुत ज़रूरी हे , कोई विकल्प नहीं।

- अनाया शेठ

Comments

  1. Apratim khub sunder

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  2. बहुत बढ़िया। आप नया विषय सोचके कविता लिखते हो वो सराहनीय है।

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  3. बहुत बढ़िया। आप नया नया विषय ले के कविता लिखते हो वो सराहनीय हे।

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