यदि विद्यालय में कोई अवकाश न मिलता
एक दिन मुझे अजीब सा विचार आया , यदि विद्यालय में कोई अवकाश न होता तो क्या होता ? हर दिन मुँह धोकर हम स्कूल पहुंचते , एक दिन भी न होता जब हम देर से उठते। आँखों के निचे काले घेरे पड़ जाते , पढाई से थक कर हम किताबो पे ही सो जाते। दिवाली , होली , राखी में हम शाला में ही होते , क्या सब त्यौहार हम वही मनाते ? पढ़ाते - पढ़ाते हमारे शिक्षक परेशान हो जाते , छूटी की राह में सब मुस्कान खो जाते। गर्मी की छुट्टीयो का कोई इंतज़ार न करता , घूमने जाने का समय किसी के पास न होता। अच्छा हे यह सिर्फ सोच हे , हकीकत नहीं , अवकाश बहुत ज़रूरी हे , कोई विकल्प नहीं। - अनाया शेठ